मुस्लिम औरतों के साथ सामूहिक बलात्कार
क्या यह मुमकिन है कि एक नहीं दो नहीं... डेढ़ दर्जन गांव की औरतें बलात्कार की झूठी शिकायत लेकर आयें। मायावती राज की पुलिस ऐसा ही मानती हैं।
उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जिले में ऐसा ही हो रहा है। दो नौजवान प्रेमी जोड़े कहीं चले गये। इनमें लड़का मुसलमान है और लड़की हिन्दू। लड़की पक्ष वालों ने, जैसा आमतौर पर होता है, अपहरण की रिपोर्ट दर्ज़ करायी। फिर तीन दिन बाद यानी 11 जुलाई को लड़की के गांव वालों ने लड़के के गांव पर हमला कर दिया। यानी मर्जी़ से शादी करना, जैसे कोई गुनाह हो। यह हमलावर मायावती सरकार के एक दबंग मंत्री के समर्थक थे और बताया जा रहा है कि इनका नेतृत्व मंत्री का भाई कर रहा था।
सैकड़ों की तादाद में हमलावरों को गांव में जो भी मुसलमान मिला, उसकी जमकर पिटाई की। घरों को तोड़ डाला। आगजनी की। सामान लूट लिये।
पर जो सबसे भयानक हुआ, वह था महिलाओं पर यौन हमला। करीब डेढ़ दर्जन (कुछ 14 तो कुछ19 बता रहे हैं) औरतों के साथ बलात्कार किया गया। कई औरतों को नंगे घुमाया गया। फरियाद लेकर पुलिस के पास पहुँचीं तो उनकी एफआईआर दर्ज़ नहीं की गयी। बड़े अफसरों के पास गुहार लगाया तो उन्होंने कहा कि ऐसी कोई घटना ही नहीं हुई है।
इस ख़बर को प्रमुखता उर्दू अख़बारों ने दी। आईबीएन 7 भी इस ख़बर को लगातार दिखा रहा है। संयोग था कि कल विधानसभा का सत्र चल रहा था और विधानसभा में यह मामला उठ गया। तब जाकर हीलाहवाली के आरोप में एसपी, डीएसपी और एक दरोगा पर कार्रवाई हुई। जो एफआईआर दर्ज़ हुई, उसमें न तो मंत्री का नाम है और न ही उसके भाई का और न ही बलात्कार का जिक्र।
इस कार्रवाई के बाद भी डीजी पुलिस और बड़े अफसर यही कह रहे हैं कि बलात्कार नहीं हुआ। यही नहीं रेंज के डीआईजी तो मंत्री के समर्थन में एक सीडी बनाकर दिखा रहे हैं। इस सीडी में यह साबित करने की कोशिश की गयी है कि बलात्कार के इल्जाम गलत हैं। देखिये कितना तेज़ काम करती है, यूपी पुलिस। इन सबका कहना है कि मेडिकल जांच में बलात्कार साबित नहीं हुआ। होता भी कैसे।
पर इनकी बात में कितना दम है, यह देखें। इस देश का कानून कहता है कि कोई महिला अगर अपने साथ बलात्कार की बात कहती है तो बिना किसी हीलाहवाली के तुरंत एफआईआर दर्ज़ होगी और उसके बाद मेडिकल। एक नहीं डेढ़ दर्जन औरतें सार्वजनिक रूप से, कैमरे के सामने बिलख रही हैं कि उनके साथ बलात्कार हुआ है, पर उनकी रिपोर्ट दर्ज़ नहीं हुई। हंगामा हुआ तो 48 घंटे बाद 19 औरतों की मेडिकल जांच हुई। ... बकौल श्रावस्ती के डीप्टी सीएमओ, 48 घंटे बाद बलात्कार की पुष्टि काफी मुश्किल है। यानी अपनी गलती छिपाने के लिए पुलिस एक अमानवीय तर्क का सहारा ले रही है। यह औरतों का अपमान है। उनके सम्मान और अस्मिता का अपमान है।
क्या यह मुमकिन है कि सामान्य, गांव की औरतें... एक नहीं 19 ... बार बार ... नाम लेकर... सार्वजनिक रूप से अपने साथ बलात्कार की झूठी खबर सुनायें। वह भी पिछले तीन दिन से लगातार...। एक महिला मुख्यमंत्री के शासन में महिलाओं का दर्द सुनने वाला कोई नहीं है। महिला संगठन समेत नागरिक समाज की भी अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है। आज विभिन्न संगठनों का एक दल जरूर गया है। उम्मीद की जानी चाहिए कि यह दल कुछ और जानकारी लेकर आयेगा ताकि इस मामले को रफा- दफा करने की पुलिस की कोशिश नाकाम हो।
टिप्पणियाँ
let us all speak up.
apoorvanand
इसी सोच के तहत किए गए या हुए अपमान का बदला मुसलमान औरतों की बेइज़्ज़ती और बलात्कार कर के लिया गया.. मायावती को चाहिये कि महिलाओं के विरुद्ध चले आ रहे इस आपराधिक परम्परा को खत्म करने में अपनी गद्दी का इस्तेमाल करें..
apart from that in one of the news i saw that the man who eloped was already married..