क्‍या मोदी की पारी के अंत की शुरुआत हो गई?

अपने अध्‍ययन और काम के सिलसिले में इस साल मैं तीसरी बार गुजरात घूम कर आया हूं। हर बार एक नई अनुभूति के साथ लौटा। हर बार जो जानकारी पढ़कर और सुनकर इकट्ठी की थी, उसमें नए आयाम जुड़ते गए। मैंने कई बार लिखने का विचार किया। लेकिन हिन्‍दी ब्‍लॉग में तो जैसे गुजरात का नाम लेना अपराध बना  दिया गया। न सिर्फ गुजरात बल्कि नरेन्‍द्र मोदी नाम के शख्‍स का जिक्र किसी भी ब्‍लॉगर के लिए गाली खाने की वजह बनता रहा। एक नहीं कई उदाहरण हैं। मैंने डर से नहीं बल्कि गाली गलौज से बचने के लिए गुजरात के अनुभव ब्‍लॉग पर छोड़कर सब जगह बांटे। कई ब्‍लॉगर दोस्‍तों ने अनुभव सुना है। पर ताजा अनुभव आपके साथ बांटने जा रहा हूं।

गुजरात चुनाव का पहला चरण चल रहा है। कुछ दिनों बाद दूसरा चरण और दस दिन बाद गुजरात चुनाव के नतीजे भी सामने होंगे। हालांकि जमीन की महक कुछ अलग सा संदेश दे रही है। चुनाव को लेकर कोई खास उत्‍साह नहीं। सरगर्मी नहीं। बड़ौदा से अहमदाबाद, एक्‍सप्रेस हाइवे पर हवा से बात करती बस में किसी की बात का भी मौजू चुनाव नहीं था।  पूछने पर बगल में बैठे सज्‍जन बताते हैं, 'इस बार 'भाजप' के लिए 'निष्‍पक्ष' चुनाव नहीं होगा। निष्‍पक्ष यानी... यानी एकतरफा चुनाव नहीं होंगे। जैसा पिछली बार हो गया था।' यानी नरेन्‍द्र भाई मोदी के लिए राह आसान नहीं है। यह शख्‍स कांग्रेस का समर्थक नहीं था। यह भाजप का वोटर है।  इसी बीच एक और साहब बताते हैं, 'अब पार्टी कहां रही। अब तो नरेन्‍द्र मोदी ही सब कुछ हैं। आपने मुखौटा नहीं देखा।' ... तो इसका असर...  'असर होगा... पर सरकार तो मोदी जी की ही बनेगी लेकिन मिलीजुली।' मिली जुली यहां कहां... इसका जवाब तो इनके पास नहीं था लेकिन इन दोनों लोगों की बात का संकेत साफ था। यानी सबकुछ पहले जैसा आसान नहीं है। वे इसके लिए दस तर्क और गिनाते हैं कि मुश्किल क्‍यों बढ़ गई। पर लब्‍बोलुआब ये कि सीटें कम होंगी। ऐसी ही बात बड़ौदा/अहमदाबाद/मणिनगर की सड़कों पर घूमते, ऑटो वालों से बात करते, दुकानदारों की राय सुनने के दौरान मिली।

पर सबसे अहम वजह कुछ और है। भारतीय जनता पार्टी को कैडर आधारित पार्टी माना जाता है। जहां, व्‍यक्ति से ऊपर विचारधारा मानी जाती है। उस कैडर आधारित पार्टी में पूरा संगठन एक शख्‍स के सामने दण्‍डवत हो गया है। मुझे तो कम से कम एक भी चुनाव नहीं याद है, जहां होर्डिंग या पोस्‍टरों में भाजप के सिर्फ एक नेता की तस्‍वीर छपी हो। किसी की छपे न छपे, अटल आडवाणी तो नजर आते ही थे। इस बार चहुंओर मोदी ही मोदी। कैडर आधारित पार्टी का एक व्‍यक्ति के इर्दगिर्द सिमटना, दीमक की तरह काम करता है। इसका खामियाजा भाजप उत्‍तर प्रदेश में उठा चुकी है।

मेरे वहां रहने के दौरान ही यानी एक दिसम्‍बर को सोनिया नवसारी और राजकोट ( शायद यही नाम थे) आईं थीं। दोनों जगह कांग्रेस की रैली में जबरदस्‍त भीड़ उमड़ी थी। यह गुजराती अखबार और गुजराती ईटीवी भी बता रहा था। भाजपा (मोदी) कैम्‍प में बेचैनी बढ़ रही थी। मोदी आतंकवाद का मुद्दा सेलेक्टिव तरीके से उठा चुके थे। फिर भी वह असर पैदा नहीं हो रहा था ... और अहमदाबाद या बड़ौदा में विश्‍वविद्यालय के किसी शिक्षक या प्रकाश शाह जैसे सामाजिक कार्यकर्ता से बात कीजिये, सबको यही डर था कि या तो मोदी कोई हमला करायेगा या कोई विवाद शुरू करेगा। इसलिए सब खैर खूबी की दुआ कर रहे थे। 

और हुआ यही... मोदी को सोहराबुद्दीन की हत्‍या पर गर्व करने का मौका मिल गया। यही असली नरेन्‍द्र भाई मोदी है। पांच साल त‍क विकास... विकास... विकास का भ्रम फैलाने वाले का यही सच है। इसे आप मौत का सौदागर कहें न कहें ... हमें मानने में कोई परेशानी नहीं है। (नरेन्‍द्र मोदी जैसा गुजरात बनाना चाहते हैं, उसपर गर्व करने वाले तो गर्भवती कौसर बी के साथ भी जो हुआ, उसे भी ठीक मानते हैं।)  लेकिन भाई को देखिये, भाई ने उसी की हत्‍या को जायज ठहराया जो नाम से एक खास मजहब का लगता है। उसे तुलसी राम प्रजापति, महेन्‍द्र काधव और गणेश कुंथे नहीं याद आए जिन्‍हें 'एनकाउंटर' मे साफ कर दिया गया है। इस भाई को यह भी याद नहीं रहा है कि सरकार ने तो माना है कि यह एनकाउंटर फर्जी हैं। लेकिन भाई दिल की बात जुबां पर आ ही जाती है। जब कराया था... तो बता दिया।

नरेन्‍द्र भाई की यह बेचैनी, उस बात को साबित करती है कि इस बार चुनाव 'निष्‍पक्ष' नहीं है। इस बार राह आसान नहीं है। विकास का ढोल का पोल सामने आ रहा है। अगर ऐसा नहीं था तो विकास पर ही चुनाव लड़ते, भले ही दुनिया कुछ भी कहती।  तब शायद उनकी जीत का सेहरा भी विकास के सिर बंधता पर अब तो जीतेंगे भी तो हारेंगे। क्‍यों... क्‍योंकि भाई नरेन्‍द्र मोदी ने फिर साबित किया है कि जिंदा आदमी से ज्‍यादा, मरा आदमी उनके काम का है। यह ज्‍यादा दिन नहीं चलता। हो सकता है कि इसकी शुरुआत जल्‍द हो जाए।

(कृपया टिप्‍पणी करने से पहले पूरी पोस्‍ट पढ़ें और उसके बाद दाहिने की गुजारिश को पढ़ें। फिर लगे कि आप संवाद चाहते हैं तो टिप्‍पणी करें।)

टिप्पणियाँ

अनिल रघुराज ने कहा…
मुझे भी यही आशंका है कि कहीं मरे हुए आदमी मोदी का काम न लगा दें। अच्छा तो यही होगा कि मोदी ठिकाने लगा दिए जाएं।
चंद्रभूषण ने कहा…
नासिरुद्दीन, आपकी बात से कुछ उम्मीद बंधती है, वरना रवीश के लिखे से तो सारा कुछ 'निष्पक्ष' ही लगने लगा था।
Farid Khan ने कहा…
बीजेपी भस्मासुर की भंगिमा में खडी है । केवल भस्म होना बाकी है अभी.... शायद संघ भी मेरी बात से सहमत है इसीलिए उसने वक्त रहते आडावाणी को अगले पीएम के रूप में प्रोजेक्ट कर दिया है। इसके बावजूद अगर देश में शांति रही तो बीजेपी जल्द ही ख़त्म हो जाएगी
Ammar Anas ने कहा…
Dear Nasir Bhai
I am sorry to say. That position of Indian state on the demolition of Babri Mosque and Gurat genocide is like a murder. All Indian institutes including judiciary and political parties like congress and CPI are no more different from Hindu main stream facisim. I dont believe in democracy and repulicity of indian state. I as thousand Muslim youths, believe there is no need of papaer work and witness on the demolition of the mosque. Indian govement if it is a goverment, is a witness and if it exit it should punish Hindu terrorists like Advani and Kalyan. I know it can not happen because Indian goverment is regulated by Hindu terrorist without any difference of congress cpi and bjp.I want to see happening real justic rather than rhetorical speach therapy by Indian parties and Institutes and paper work. I belive Muslim should wait to see the real Hindu terrorist face of Indian goverment.
babu123 ने कहा…
MODI JITEGA "JITEGA GUJRAT"
Ammar Anas ने कहा…
I am not intrested in either Modi will lose or win. Because i find no difference between both naitonal parties : congress and BJP. Both are same Hindu facist parties and working to eliminate Muslims or depowering them. Babri Mosque and Gujrat are two events mirroring the undemocratic facist unrepublic and Hindu terrorist face of India.
Unfortunatly, Indian judiciary, defense and all institutes of Indian state are led by Hindu Facists and since last 58 years the state is engaged in murdering Muslims and terrorising them.
There is no justic for Muslim in India because they are Muslims and believe in Islam.
Why Indian state did not prosecute terrosit like Modi and Advani. Why Indian supreme court is mock on demolition of Babri mosque. Note please here i dont include paper work and speach therapy by state officials.
ढाईआखर ने कहा…
अम्मार दास इंडिया साहब, आपका यही नाम है या कुछ और- मैं नहीं जानता। पर आपकी राय से कतई इत्तेफाक नहीं रखता। आप अपनी राय के बारे में दोबारा गौर करें।
इस मुद्दे पर आगे बातचीत लिए मैं तैयार नहीं हूं। आप आगे भी आयेंगे और अपनी राय पोस्ट पर देंगे, ऐसी उम्‍मीद है। शुक्रिया
db ने कहा…
here most of people says that modi is a culpit. or he was behind the riot in gujarat. then who was behind jammu and kasmir where more then 30000 people are killed.
there was riot in mumbai many years back. is modi behind those riot? in gujart the riot were happening every year before 1998. and lot of muslim and hindu (most of time hindu killed more) non of media or any other comment at that time.. why don't take tax from gujarat if you think modi is not proper. what is situation in Utter pradesh,bihar,assam... people don't have proper house,edjucation or law and order..

i wise india divide in many more parts. then only the people who comment here will know what is right and what is wrong. i don't like india like this..

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