कौन हैं 'गुजराती' ? (kaun Hain Gujarati?)
गुजराती कौन हैं? आप पूछेंगे, यह कौन सा सवाल है? गुजराती, यानी जो गुजरात में रहता है। मुझे भी यही लगता रहा कि यह सवाल नहीं हो सकता। पर हाल के दिनों में जब भी नरेन्द्र मोदी या अजगर की जबान उधार लें तो 'नमो' यह कहते, 'मैं तो पांच करोड़ गुजराती की बात करता हूं। पांच करोड़ गुजराती की अस्मिता की बात करता हूं।' तो मुझे कुछ अटपटा सा लगता। मुझे लगता कि मोदी का दिल बदला तो कैसे? यह अपने सारे लोगों की बात करने लगा। यह भी सोचता कि हर बात पर शक करना ठीक नहीं। फिर यही सोचा चलो कम से कम मुख्यमंत्री मोदी ऑन रिकार्ड 'सिर्फ गुजरातियों' की बात करते हैं। यानी गुजरात में रहने वाले सभी लोगों की बात।
लेकिन जनाब, यकीन जानिये, यह मेरा भ्रम था। जजेज बंगलो रोड से मैं साबरमती आश्रम जाने के लिए निकला। एक ऑटो किया और चल दिया। पता चला कि कम से 25-30 मिनट तो लगेंगे ही। मैंने आदतन ऑटो वाले से बातचीत शुरू की। कौन हैं? कहां से आए? मोदी जी की क्या हालत है? चुनाव में क्या होगा?
उसने कहा, 'मैं तो गुजराती हूं।'
मैंने कहां, 'हां, वह आपकी बोली से लग रहा है।'
फिर उसने अपना नाम बताया- राजू। कहने लगा, 'गुजराती तो सब मोदी जी के साथ हैं।'
मैंने पूछा, 'सब।'
बोला हां, सिर्फ 'वो' लोग नहीं हैं।
मैंने फिर पूछा, 'वो' कौन।
बोला, 'वही' लोग। समझे नहीं। और हंसने लगा।
उसकी हंसी ने बता दिया था कि वो कौन। पर मैं उसकी जबान से सुनना चाह रहा था। और आखिरकार उसने कहा, 'मुसलमान लोग तो भाजप के साथ नहीं हैं।'
तब मैंने फिर पूछा, 'क्या मुसलमान गुजराती नहीं हैं।'
उसका जवाब था, 'कैसी बात करते हैं। मुसलमान कहीं गुजराती होते हैं। गुजराती तो हमलोग हैं।'
तब एकाएक स्पार्क हुआ और मुझे समझ में आ गया कि जब जनाब मुख्यमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी गुजरातियों की बात करते हैं तो उनके गुजराती में कौन शामिल है और कौन नहीं। यकीनन, उसमें 'वो' नहीं हैं।
जो बात बड़े बड़े नहीं समझा पा रहे थे वह बात एक अनजान और शायद निम्न मध्य वर्गीय ऑटो वाले ने मुझे समझा दिया था।
अभी इस उहापोह से उबर ही रहा था तो एक गुजराती (जिस पर मुझे गर्व है) लॉर्ड मेघनाद देसाई का एक इंटरव्यू दिख गया। प्रख्यात अर्थशास्त्री और सामाजिक रूप से सक्रिय मेघनाद देसाई ने बताया कि पिछले डेढ़ दशक के दौरान संघ परिवार ने गुजरात के हिन्दुओं में यह भाव पैदा करने की कोशिश की गुजराती यानी हिन्दू बाकि सब 'वो'। गुजराती की इस नई परिभाषा को सबसे ज्यादा अपनाया मध्यवर्ग ने। (ब्लॉग की दुनिया पर इस मध्यवर्ग की प्रतिक्रिया देख आप अब आसानी से इसकी वजह समझ सकते हैं।) यही मध्यवर्ग संघ परिवार का वैचारिक कॅरियर है। उनका कहना था कि जब पांच करोड़ गुजराती की बात मोदी करते हैं तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वह किसकी बात कर रहे हैं।
लेकिन मेरी उहापोह और बढ़ गई है। मैं अब सोच रहा हूं कि दक्कनी उर्दू के जन्मदाता, वली गुजराती का क्या होगा, जिसने अपने को गुजरात की मिट्टी में जज्ब कर दिया है? उस रजब अली को क्या कहा जाएगा जिसने वसंत हेंगिश्ते के साथ अहमदाबाद के जमालपुर में साम्प्रदायिक सौहार्द्र के लिए जान दे दिया? उस एहसान जाफरी को क्या माना जाएगा, जो गुजरात की आग में जला और गुजरात की हवा में फैल गया है? गुलाम मोहम्मद शेख को क्या नाम देंगे, जिसने पेंटिंग में गुजरात का नाम दुनिया के नक्शे पर ला खड़ा किया? एसआर बंदूकवाला को क्या माना जाएगा। इस्माइल दरबार के गरबा संगीत को किस नाम से पुकारा जाएगा? जहीर खान, इरफान पैठान, युसूफ पैठान, सायरा, रशीदा, नियाज बेन को किस खांचे में फिट किया जाएगा? गुजराती या सिर्फ 'वो'?
प्रख्यात चित्रकार गुलाम मोहम्मद शेख की एक पेंटिंग।(साभार) |
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टिप्पणियाँ
doosri mahatvapoorn baat ye hai ki jab musalman ran banata hai ya wicket leta hai to hindustani ho jaata hai, jab nahin kar pata to musalman. mohammad qaif ke allahabad mein todfod jyaada jaldi hoti hai..
yeh kissa sirf gujrat ka hi nai hai, balki delhi ke ek sabse bade news channel mein agar mujhse yeh koi yeh keh sakta hai ki "apko apna jashn-e-azadi 14 august ko manana chahiye" to sawal yeh uthta hai ki Hindustani ki Khoj ki jae?
1) Pehli to yeh.. ki agar aap se koi doosrey mazahab waala koi chubney waala sawaal karey... iska yeh matlab nahin ki uskey mazhab ke saarey log uski tareh hain. Har tokri main koi na koi kharaab sabzi rehti to hai. Yeh baat bahut puraani hai..lekin hum log aksar bhool jaatey hain.
2) Doosri baat yeh hai..saarey Musalmaan bhaiyyon ki taraf... jo log BJP se nafrat kartey hain sirf islite kyunki unka Muslims ki taraf acha vyevhar nahin hai.. woh log yeh na sochain ki Congress unsey achi hai. Agar Modi bhai saamney se waar kartey hain... Congress peechey se karti hai. COngress ne hamesha se Muslims ko sirf Vote Bank ki tareh use kiya hai. Unheen ki minority appeasement policies ki wajeh se BJP aur doosri right wing parties upar aayein hain. Main Modi bhai.. aur unki harqaton ko justify nahin kar raha hoon.. bilkul nahin... main sirf unki popularity ki wajeh samjhaana chahta hoon. Maanain ya na maanain, bahut se log Modi bhai ke bhi followers hain. Modi bhai main unko ek aisa banda dikhta hai jo unkon importance de sakta hai.. jo saalon se Congress nahin de rahi hai. Aisa hona to nahin chahiye... lekin yeh practical duniya hain. Ismain ideal behaviour ki jageh nahin.
3) Merey Hindu bhai... Congress ne hamesha minorities ko thoda soft corner diya hai. Ismain koi shaq nahin hai. Majority ko thoda ignore kiya hai. Lekin, ismain aam muslamaan aadmi ki koi galti nahin hai. Woh log bhi wohi chahtey hain jo aap chahtey hain. Shanti, Unnati, Khush haali etc. To meri vinnati yeh hai ki Hindu bhai kabhi apney dil main koi nafrat na rakhain. Aur Hindu log yeh bhi jaan lain... ki Hindustan jitna unka hai... utna hee Muslamaanon ka hai. Kabhi kabhi merey Hindu bhai mujh se pooch tey hain ki tum 14th August ko Swatantrata banaatey ho kya... main unki baaton ko ignore kar deta hoon. Hindustaan mera tha... mera hai...aur mera rahega. Utnaa hee jitna aapka hai. To agar aap ko koi Muslamaan bhai dikh bhi jaye.. ko Pakistan ke liye soft corner rakhta hai... uski tokri ki kharaab sabzi ki tareh ignore kar dijiye.
Jai Hind.
Shadab.