'मोदी नहीं हूँ मैं'
मुशर्रफ आलम जौकी उर्दू के साहित्यकार हैं। मुसलमानों की जिंदगी, उनकी कहानियों और उपन्यासों का विषय रही है। उनका उपन्यास 'मुसलमान' काफी मशहूर रहा है। इसका हिन्दी में भी अनुवाद प्रकाशित हुआ है। अपने विचारों को लेकर वह काफी चर्चा में भी रहे हैं।
उनकी एक कहानी है, 'मोदी नहीं हूँ मैं'। यह कहानी आम हिन्दू-मुसलमानों के रिश्तों की दास्ताँ है। यह कहानी साम्प्रदायिक हिंसा के बावजूद इंसानी रिश्तों के बचे रहने की कहानी है। इसी रिश्ते के बिना पर यह मुल्क आज खड़ा है और इसी रिश्ते को खत्म करने की लगातार कोशिश हो रही है।
जब मैं यह कहानी पॉडकास्ट के रूप में यहाँ दे रहा हूँ तो मेरे जहन में असगर वजाहत की कहानी पर हुए विवाद की याद ताजा हो रही है। इसके बावजूद में मैं यह पोस्ट कर रहा हूँ।
उर्दू की इस कहानी को पेश किया है, टूसर्किल डॉट नेट के सम्पादक काशिफ उल हुदा ने। तो सुनिये कहानी 'मोदी नहीं हूँ मैं'।
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