1857 के शहीदों को सलाम



1857 के विद्रोह के 150 साल हो गये हैं। यह विद्रोह साझी शहादत, साझी विरासत की अनूठी मिसाल है। ऊपर के चित्र उन हिन्‍दुस्तानी शहीदों की याद दिलाता है, जिन्होंने इस माटी की हिफाजत के लिए अपनी कुर्बानी दे दी। दोनों फोटो लखनऊ के सिकंदर बाग़ में हुई नवम्बर 1857 के संघर्ष के बाद की है। फोटोग्राफर फेलिको बियातो सन् 1858 के मार्च-अप्रैल के दौरान लखनऊ में थे और नीचे वाली तस्वीर उन्हीं की ली हुई है। सिकंदरबाग के इस संघर्ष में मारे गये ब्रितानी सिपाहियों के शव तो दफनाये दिये गये लेकिन दो हजार हिन्‍दुस्तानी सिपाहियों के शव यूं ही छोड् दिये गये। फेलिको की तस्वीर में मानव अवशेष साफ देखे जा सकते हैं। सिकंदरबाग में ही एक अनाम वीरांगना की बहादुरी की कहानी मिलती है। बाद में जिसे कुछ लोगों ने ऊदा देवी का नाम दिया। दस मई 1857 ही वह दिन जब मेरठ से इस विद्रोह की शुरुआत मानी जाती है। इस विद्रोह के कई मशहूर नाम को तो हम जानते हैं लेकिन हजारों ऐसे हैं जो अनाम रह गये। उनकी शहादत को सलाम।

टिप्पणियाँ

बेनामी ने कहा…
मैं भी आपकी आवाज में अपनी आवाज शामिल करता हूं
azdak ने कहा…
सलाम.. सलाम!
Sanjeet Tripathi ने कहा…
नमन जानें-अनजाने शहीदों को
ePandit ने कहा…
शत शत नमन इस शहीदों को। ईश्वर करे ये हमेशा हिंदुस्तान में ही जन्म लें।
ghughutibasuti ने कहा…
इन शहीदों को मेरा भी प्रणाम ।
घुघूती बासूती
अभय तिवारी ने कहा…
मेरी भी श्रद्धांजलि..
Pramendra Pratap Singh ने कहा…
अमर शहीदों को शत् शत् नमन
Arun Arora ने कहा…
"नमन उन्हे जिन्होने हमारे आज के लिये अपना कल नही देखा"

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

इमाम-ए-हिन्द हैं राम

चक दे मुस्लिम इंडिया

नहीं रहना नारद के साथ, बाहर करें