नारद गण के ब्लॉग पर टिप्पणी किया तो गये ...
अब बेडरूम में नारद गण!
आप सुनते रहते होंगे, पढ़ा होगा कि कोई सीधे आपके निजी कम्प्यूटर तक घुस सकता है। वहां से आपकी ज़रूरी सूचना गायब कर सकता है। अपने तरीके से उसे इस्तेमाल कर सकता है। सोमवार को नारद के एक वरिष्ठ साथी ने ऐसा ही किया जिससे हमारे जैसे लोग चौंक गये। वरिष्ठ साथी ने एक पोस्ट पेस्ट की और उसी बहाने हांक दिया असहमति जताने वालों को। असहमति जताने और हांकने का पूरा हक है, भई। (भई, मैं इनका नाम लेने में बहुत डरता हूँ। अभी इन्हीं के इलाके में हूँ। पकड़ लिया तो।) ख़ैर।
कुछ लोग पोस्ट देखने गये और एक ने टिप्पणी कर दी। अपना नाम बताया, असली नारद मुनि। अभी तक आदमियों के नाम का कॉपीराइट, मेरी नज़र से नहीं गुज़रा है लेकिन यहां इसी नाम पर विवाद हो गया। अब जैसे इस नाम पर तो इन्होंने कॉपीराइट करा रखा हो। जब मैं वहां विचरण करते हुए पहुंचा तब तक वहां काफी कुछ हो चुका था। जो हुआ उसकी बानगी
· असली नारद मुनि Says: जून 18th, 2007 at 5:13 pm
यानी... असली नारद मुनि पकडे़ गये। उनका डेटा इनके पास है।... यानी ये कि आप जो लिख रहे हैं, जो नारद गण के लिखे पर कमेंट कर रहे हैं, उन सबको यह देख रहे हैं, कौन कहां, क्या कर रहा है। बेडरूम में भी! आप भाषा का तेवर देखें, यह उन सबके लिए चेतावनी है, जो इनसे असहमति के स्वर रखते हैं। इस निजता के भंग होने का फायदा किसे मिलेगा। यह सोचने वाली बात है।
मसिजीवी भाई और सुजाता जी की टिप्पणियां वहां हैं। तकनीक के जानकारों का दंभ वहां भी देखा जा सकता है और इस कर्म पर इनकी पीठ थपथपाने वालों का भी। पर इन्हें पता नहीं है कि 'पता' सिर्फ यही नहीं कर सकते और इस तकनीक को जानने के लिए एमटेक का होना ज़रूरी नहीं है। एकलव्य बनने की ख़्वाहिश होनी चाहिए। बस। पर सवाल यहां भी बड़ा है। यह भरोसे को तोड़ना है, जो किसी के साथ जुड़ने पर बनता है।
तकनीक के जानकार पोस्ट पर अपनी ज्ञान की गंगा बहाने में लगे हैं और बताते-बताते, बता गये कि कैसे ट्रैप करते हैं। जब आप यह करते हैं तो आप कई और काम कर सकते होंगे भई। जैसे- नारद में तकनीकी गड़बड़ी आने की बात आपने कल भोर में कही है। लेकिन उससे 20 घंटे पहले जो पोस्ट हुए, वे कैसे रुके रहे। और भोर में मैंने दो तीन पोस्ट पढ़ी जो महज 15-20 मिनट में आ गयी । कहीं ऐसा तो नहीं की तकनीक के माहिर अपना ज्ञान यहां दिखा रहे थे...
तो नैतिकता, संस्कार, सहिष्णुता, परिवारवाद, का डंका बजाने वाले यह भी करते हैं! अगर मैं दो तीन दिन न दिखूं तो ज़रा पता कर लीजियेगा... कहीं ट्रैक करके ट्रैप तो नहीं कर लिया गया।
आप सुनते रहते होंगे, पढ़ा होगा कि कोई सीधे आपके निजी कम्प्यूटर तक घुस सकता है। वहां से आपकी ज़रूरी सूचना गायब कर सकता है। अपने तरीके से उसे इस्तेमाल कर सकता है। सोमवार को नारद के एक वरिष्ठ साथी ने ऐसा ही किया जिससे हमारे जैसे लोग चौंक गये। वरिष्ठ साथी ने एक पोस्ट पेस्ट की और उसी बहाने हांक दिया असहमति जताने वालों को। असहमति जताने और हांकने का पूरा हक है, भई। (भई, मैं इनका नाम लेने में बहुत डरता हूँ। अभी इन्हीं के इलाके में हूँ। पकड़ लिया तो।) ख़ैर।
कुछ लोग पोस्ट देखने गये और एक ने टिप्पणी कर दी। अपना नाम बताया, असली नारद मुनि। अभी तक आदमियों के नाम का कॉपीराइट, मेरी नज़र से नहीं गुज़रा है लेकिन यहां इसी नाम पर विवाद हो गया। अब जैसे इस नाम पर तो इन्होंने कॉपीराइट करा रखा हो। जब मैं वहां विचरण करते हुए पहुंचा तब तक वहां काफी कुछ हो चुका था। जो हुआ उसकी बानगी
· असली नारद मुनि Says: जून 18th, 2007 at 5:13 pm
इतने भोले न बन जाना साथी
जैसे होते हं सर्कस के हाथी
ये वीरेन डंगवाल की कविता का एक अंश है. तकनीकी गडबडी थी, कोई बात नहीं. पता नहीं चला, कोई बात नहीं. लेकिन जब भी पता चला, तो कम से कम सूचना तो देनी ही चाहिए. और अब जब सूचना दी जा रही है, तो संयम भी बरतना चाहिए. लेकिन लगता है, पूरी नारद मंडली ही दिमागी संतुलन खो चुकी है. ये नकली नारद है. इस ओर झांकना बंद करो…"
यानी... असली नारद मुनि पकडे़ गये। उनका डेटा इनके पास है।... यानी ये कि आप जो लिख रहे हैं, जो नारद गण के लिखे पर कमेंट कर रहे हैं, उन सबको यह देख रहे हैं, कौन कहां, क्या कर रहा है। बेडरूम में भी! आप भाषा का तेवर देखें, यह उन सबके लिए चेतावनी है, जो इनसे असहमति के स्वर रखते हैं। इस निजता के भंग होने का फायदा किसे मिलेगा। यह सोचने वाली बात है।
मसिजीवी भाई और सुजाता जी की टिप्पणियां वहां हैं। तकनीक के जानकारों का दंभ वहां भी देखा जा सकता है और इस कर्म पर इनकी पीठ थपथपाने वालों का भी। पर इन्हें पता नहीं है कि 'पता' सिर्फ यही नहीं कर सकते और इस तकनीक को जानने के लिए एमटेक का होना ज़रूरी नहीं है। एकलव्य बनने की ख़्वाहिश होनी चाहिए। बस। पर सवाल यहां भी बड़ा है। यह भरोसे को तोड़ना है, जो किसी के साथ जुड़ने पर बनता है।
तकनीक के जानकार पोस्ट पर अपनी ज्ञान की गंगा बहाने में लगे हैं और बताते-बताते, बता गये कि कैसे ट्रैप करते हैं। जब आप यह करते हैं तो आप कई और काम कर सकते होंगे भई। जैसे- नारद में तकनीकी गड़बड़ी आने की बात आपने कल भोर में कही है। लेकिन उससे 20 घंटे पहले जो पोस्ट हुए, वे कैसे रुके रहे। और भोर में मैंने दो तीन पोस्ट पढ़ी जो महज 15-20 मिनट में आ गयी । कहीं ऐसा तो नहीं की तकनीक के माहिर अपना ज्ञान यहां दिखा रहे थे...
तो नैतिकता, संस्कार, सहिष्णुता, परिवारवाद, का डंका बजाने वाले यह भी करते हैं! अगर मैं दो तीन दिन न दिखूं तो ज़रा पता कर लीजियेगा... कहीं ट्रैक करके ट्रैप तो नहीं कर लिया गया।
चलिये पता तो चला असली नारदजी दिल्ली में हैं और स्पेक्ट्रानेट का कनेक्शन प्रयोग करते है बाकि के डेटा असली नारद (!?) के रक्षार्थ यहाँ नहीं दे रहे है.