जगी इंसाफ की आस
उम्मीद जगी है। श्रावस्ती के धन्नीडीह की 50 महिलाओं को अपनी आवाज हाकिमों को सुनाने के लिए तीन महीने का इंतजार करना पड़ा। अपने साथ हुए जुल्म और यौन हिंसा की बात सुनाने के लिए इन औरतों को सड़क पर उतरना पड़ा था। इस आजाद मुल्क में चिल्ला-चिल्लाकर वो अपने से होने वाली जुल्म ओ ज्यादती का बयान कर रही थी, पर हाकिम उनकी बात नहीं सुन रहे थे। जब सब्र का बांध टूटा तो वे अपनी पहचान बताने में नहीं हिचकीं। फिर भी कुछ नहीं हुआ। सामाजिक संगठनों ने आवाज उठायी, वहां से लौटकर जांच रिपोर्ट दी। बम्बई से तीस्ता सीतलवाड आयीं। आखिरकार इन औरतों की तरफ से अदालत का दरवाजा खटखटाया गया। सीबीआई जांच का हुक्म देने की मांग की गयी। हाईकोर्ट के कडे रुख को देखते हुए श्रावस्ती पुलिस को आखिरकार मुकदमा दर्ज करना पड़ा। बलात्कार का मुकदमा। इस मुकदमे में मायावती सरकार के एक राज्यमंत्री ददन मिश्रा के भाई अशोक मिश्र समेत 35 लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज किया गया है।
जैसा की ढाई आखर में पहले एक पोस्ट में बताया गया था कि उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जिले में एक हिन्दू लड़की और मुसलमान लड़के के गायब हो जाने के बाद धन्नीडीह गांव पर बड़े हुजूम ने हमला किया। गांव में रहने मुसलमानों के घरों में तोड़फोड़ तो हुई ही। सबसे खौफनाक हादसा हुआ औरतों के साथ। उन्हें नंगा किया गया, दौड़ाया गया बलात्कार किया गया। ... हंगामा करने के बाद तीन दिन बाद मेडिकल जांच हुई तो बलात्कार के निशान न तो मिलने थे और न ही मिले। पर सुप्रीमकोर्ट का साफ आदेश है कि महिला का यह कहना ही काफी है कि उसके साथ बलात्कार हुआ है। इसके बावजूद बलात्कार की रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई। ... फिर शुरू हुई लम्बी जद्दोजहद। और आखिरकार ऑल इंडिया मुस्लिम काउंसिल के महासचिव जमीर नकवी ने जन हित याचिका दायर कर इस पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग की। कोर्ट ने पुलिस से यह जानना चाहा कि जब पीडि़तों ने अपने साथ हुए जुल्म और यौन हिंसा की रिपोर्ट लिखने का आवेदन दिया था तो उस पर क्या कार्रवाई हुई। तब जाकर आनन फानन में कल यानी बुधवार को रिपोर्ट दर्ज किया गया।
- यह रिपोर्ट श्रावस्ती के सिरिसिया थाने में दर्ज हुई है।
- मुकदमा संख्या- 383/2007 है।
- भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की जिन धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है, वे हैं- 147, 395, 376, 436, 354, 364, 120 बी।
- मुकदमे में अशोक मिश्र, आलोक मिश्र, कृष्ण नारायण पाण्डेय, पप्पू, राधेश्याम, कुंजबिहारी, शेषनारायण, वीवी पाण्डेय, पदमकार पाण्डेय, लालमिंटू, लक्ष्मी नारायण यादव, पिंटू, कमलेश यादव, अजय कुमार, शिवनाथ पासी, घनश्याम पाठक, हनुमंत ब्राह्मण, कृष्ण नारायण द्विवेदी, अशोक मिश्रा, पारसनाथ नाथ मौर्या, मंशाराम मौर्या, बच्चाराम मौर्य, धर्मराज मौर्य, आशाराम, साबितराम, बड़कऊ, नीबर, रम्पत मौर्य, डबरहे मौर्य, मझले ब्राह्मण, कूने गुप्ता, हग्गन लोनिया, चन्द्रमणि शुक्ल, बीडीओ मिश्रा, करन शुक्ल समेते 35 लोगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट।
- नथुनी, चिर्रीपुर, दुर्गापुर, कटकुइयॉं, निबिहा, कलकलवां के दो हजार लोगों के खिलाफ अनाम रिपोर्ट।
- इलजाम लगाया गया है कि गांव पर हमला किया गया और औरतों, लड़कियों के साथ बलात्कार किया गया। ऐसा कहा जा रहा है कि करीब 50 औरतें बलात्कार की शिकार हैं।
- इनका यह भी इलजाम है कि पांच बच्चे और बलात्कार की शिकार कुछ औरतें अब भी गायब हैं।
- स्थानीय पुलिस पर हीलाहवाली का इलजाम है।
लेकिन यह इंसाफ की ओर बढ़ा सिर्फ एक कदम है। लड़ाई अब भी काफी लम्बी और मुशिकल है। अदालत की मुकदमेबाजी के बारे में बताये जाने की जरूरत नहीं। खासतौर से यौन हिंसा की मुकदमे बाजी काफी दुरूह और तकलीफदेह होती है। अब यह जिम्मेदारी नागरिक समाज, महिला संगठनों और दूसरे सामाजिक संगठनों की है कि इस केस की मजबूत कानूनी पैरवी कैसे हो ताकि इन औरतों को जल्दी इंसाफ मिल सके।
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टिप्पणियाँ
१ हम आज भी कबिलाई मानसिकता से मुक्त नहीं हो सके हैं ।
२ आज भी स्त्री को जायदाद माना जाता है ।
३ जिस भी परिवार, समाज आदि से बदला लेना हो, उनकी स्त्रियों को बेइज्जत कर बदला लेना समाज को सबसे सरल लगता है ।
४ कमजोर के लिए न्याय के दरवाजे भी बन्द हैं ।
५ प्रेम करने, विवाह करने की स्वतंत्रता भी हमारा समाज भारतीय नागरिक को नहीं देता है ।