भारतीय मुसलमानों का अलगाव (Alienation Of Indian Muslims)
यह लेख जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, दिल्ली के कुलपति प्रोफेसर मुशीरूल हसन का लिखा है। इसे यहाँ अंग्रेजी में ही पेश किया जा रहा है। जामिया मीलिया, भारतीय धर्मनिरपेक्षता की सबसे मजबूत कडि़यों में से एक है। लेकिन बटला हाउस इनकाउंटर के बाद जामिया और मुशीरुल दोनों पर 'तथाकथित राष्ट्रवादी' लगातार हमले कर रहे हैं। इनके सुर में सुर मिलाया 'निष्पक्षता' के अलमबरदार मीडिया ने। मुशीरुल की यह टिप्पणी उसी संदर्भ में है। मुशीरुल हसन के बारे में कोई भी टिप्पणी करने से पहले यह जान लेना जरूरी है कि उनके नाम से उनकी शख्सियत की 'पहचान' नहीं है। मुशीरल हसन देश के उन-गिने चुने लोगों में से थे, जिन्होंने सलमान रुश्दी की पुस्तक पर पाबंदी लगाए जाने पर सवाल खड़े किए थे। वह इस मुल्क के बड़े इतिहासकार हैं। यह टिप्पणी काउंटरकरंट्स से साभार यहाँ पेश की जा रही है। Alienation Of Indian Muslims By Mushirul Hasan T he extent to which the Indian society is getting polarised along religious lines is very disturbing. If this is the state of affairs almost seven decad
टिप्पणियाँ
वाह!
शानदार बैनर चित्र।
कोई गल नहीं जी, अक्सर शाएर-कवियों की साइंस कमज़ोर होती है।
शुक्रिया। बैनर के फोटो के बारे में आपको यहां से जानकारी मिल सकती है-
http://dhaiakhar.blogspot.com/search/label/%E0%A4%B5%E0%A4%B2%E0%A5%80%20Wali
नासिरूद्दीन
चिपचिपे दूध से नहलाते हैं
आंगन में खड़ा कर के तुम्हें ।
शहद भी, तेल भी, हल्दी भी, ना जाने क्या क्या
घोल के सर पे लुढ़काते हैं गिलसियाँ भर के
औरतें गाती हैं जब तीव्र सुरों में मिल कर
पाँव पर पाँव लगाए खड़े रहते हो
इक पथराई सी मुस्कान लिए
बुत नहीं हो तो परेशानी तो होती होगी ।
जब धुआँ देता, लगातार पुजारी
घी जलाता है कई तरह के छौंके देकर
इक जरा छींक ही दो तुम,
तो यकीं आए कि सब देख रहे हो ।
-संदीप राउजी