गुलजार की नज्‍म 'सूर्य ग्रहण'

कल सुबह सूर्य ग्रहण है। पूर्ण सूर्य ग्रहण। खग्रास सूर्य ग्रहण। खास चश्‍मा पहनें और यह अद्भुत खगोलीय घटना जरूर देखें। तब तक गुलजार साहब की यह नज्‍म पर पढ़ें-


'सूर्य ग्रहण'

कॉलेज के रोमांस में ऐसा होता था/

डेस्क के पीछे बैठे-बैठे/

चुपके से दो हाथ सरकते

धीरे-धीरे पास आते...

और फिर एक अचानक पूरा हाथ पकड़ लेता था,

मुट्ठी में भर लेता था।

सूरज ने यों ही पकड़ा है चाँद का हाथ फ़लक में आज।।

गुलजार

टिप्पणियाँ

Manish Kumar ने कहा…
sundar..aabhar ise padhwane ka
सतीश पंचम ने कहा…
नज्म तो सुंदर है ही, आपके ब्लॉग पर लगा यह चित्र ध्यानाकर्षक है। अध्धे इंटों से दबा कर रखा गया हरा कपडा और उस पर रखी फूलों की पंखुडियां।

वाह!

शानदार बैनर चित्र।
Yunus Khan ने कहा…
क्‍या अभिव्‍यक्ति है साब । वाह
अभय तिवारी ने कहा…
गुलज़ार साहब बहक गए। सूर्य ग्रहण के नाम से चन्द्र ग्रहण की छवि बना बैठे! सूर्य ग्रहण में चांद की मुठ्ठी में सूरज का हाथ गु़म हो जाता है।

कोई गल नहीं जी, अक्सर शाएर-कवियों की साइंस कमज़ोर होती है।
ढाईआखर ने कहा…
सतीश भाई,
शुक्रिया। बैनर के फोटो के बारे में आपको यहां से जानकारी मिल सकती है-
http://dhaiakhar.blogspot.com/search/label/%E0%A4%B5%E0%A4%B2%E0%A5%80%20Wali

नासिरूद्दीन
vandana gupta ने कहा…
itni romanchak nazm padhwane ke liye shukriya..........lajawwab
Pratibha Katiyar ने कहा…
Wah Gulzar sahab, Surya grahan aisa hota ho to, roj hi ho...aameen!
Pratibha Katiyar ने कहा…
Wah Gulzar sahab, Surya grahan aisa hota ho to, roj hi ho...aameen!
Khushdeep Sehgal ने कहा…
ब्लॉग की दुनिया में नया दाखिला लिया है. अपने ब्लॉग deshnama.blogspot.com के ज़रिये आपका ब्लॉग हमसफ़र बनना चाहता हूँ, आपके comments के इंतजार में...
Unknown ने कहा…
नासिर भाई इस नज्म पर मुझे गुलजार की ही एक और कविता याद आ गई. शायद पसंद आए..
चिपचिपे दूध से नहलाते हैं

आंगन में खड़ा कर के तुम्हें ।

शहद भी, तेल भी, हल्दी भी, ना जाने क्या क्या

घोल के सर पे लुढ़काते हैं गिलसियाँ भर के


औरतें गाती हैं जब तीव्र सुरों में मिल कर

पाँव पर पाँव लगाए खड़े रहते हो

इक पथराई सी मुस्कान लिए

बुत नहीं हो तो परेशानी तो होती होगी ।


जब धुआँ देता, लगातार पुजारी

घी जलाता है कई तरह के छौंके देकर

इक जरा छींक ही दो तुम,

तो यकीं आए कि सब देख रहे हो ।
-संदीप राउजी
KK Mishra of Manhan ने कहा…
चिड़ियों का स्लाइड शो बहुत अच्छा लगा।
KK Mishra of Manhan ने कहा…
भाई आप के ब्लाग पर चिड़ियों का स्लाइड शो देखकर मन प्रसन्न हो गया।
अबयज़ ख़ान ने कहा…
नासिर भाई गुलज़ार साहब तो कमाल हैं... बेहद खूबसूरत लाइन हैं... इश्क की गिरफ्त में चांद और सूरज का जो़ड़ा.. क्या ख़ूब है.. आपका ब्लॉग भी बहुत ख़बूसूरत है... मुझे पहली बार पढ़ने का मौका मिला..

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