सुनिए, जब फागुन रंग झमकते हों
अब सुनिए नजीर अकबराबादी (Nazir Akbarabadi) की शायरी ' जब फागुन रंग झमकते हों...'। होली के मौके पर मैंने नजीर अकबराबादी की दो रचनाएँ पेश की थीं। जिसमें एक थी, 'जब फागुन रंग झमकते हों, तब देख बहारें होली की...' (Jab fagun rang Jhamakte hon tab dekh bahare Holi ki) । युनूस भाई की गुजारिश थी कि इसे सुना कैसे जाए। तब ही मुझे याद आया कि मेरे एक दोस्त मोहिब ने इसे कभी अपने ब्लॉग पर कई और गीतों के साथ पेश किया था। मैंने मोहिब से इसे भेजने की गुजारिश की और चंद घंटे बाद मेरे पास इस गीत की फाइल मौजूद थी। यह गीत मुजफ्फर अली द्वारा तैयार एलबम 'हुस्न ए जाना' का हिस्सा है। इसे आवाज दी है, छाया गांगुली ने। अगर किसी दोस्त के पास यह गीत किसी और गायक या गायिका की आवाज में हो तो भेजने की तकलीफ करेंगे। फिलहाल इसे साभार यहाँ आप सबके लिए पेश कर रहा हूँ। तो प्ले क्लिक कीजिए और फागुन की मस्ती में डूब जाइये।
इन्हें भी देखें
'जब फागुन रंग झमकते हों, तब देख बहारें होली की...'
टिप्पणियाँ
vaise aapke paas ye geet jis aavaaz me hai, mere pas bhi bilkul vahi copy hai.. :)