मुल्क और मुसलमानों से जुड़े चंद सवाल
कई दोस्त इसे पढ़ने के बाद मुझे कई खांचों में फिट करने की कोशिश करेंगे। मैं यह ख़तरा मोल लेते हुए, यह सब लिख रहा हूँ। हर बड़े विस्फोट या आतंकी कार्रवाई के बाद ज्यादातर एक ही तरह की बात रक्षा विशेषज्ञों, मीडिया चैनलों के जरिये सुनने को मिलती है। और हममें से ज्यादातर उसी को आखिरी सच मान कर जीते रहते हैं। पर मेरे ज़हन में इस 'सच' को अंतिम मानने से पहले कई सवाल हैं। उन सवालों को आपसे बांट रहा हूँ- ऐसा क्यूँ होता है कि हर बार आतंकी कार्रवाई की पुख्ता सूचना होने के बावजूद, सुरक्षा एजेंसियां उसे रोक नहीं पातीं यह कैसे होता है कि विस्फोट होने के चंद मिनट बाद ही सुरक्षा एजेंसियों को संगठनों के नाम, पते, अंजाम देने वालों का पूरा बायोडाटा... उनके रिश्ते पता चल जाते हैं ऐसा क्यूँ होता है कि इस देश में होने वाली सभी आतंकी कार्रवाई को तुरंत इस्लामिक आतंकवाद का नाम दे दिया जाता है। ... और किसी धर्म के साथ तो ऐसा नहीं होता... पर ऐसा क्यूँ होता है कि घटना के चंद मिनटों बाद ही सभी अहम जानकारी पा लेने वाले महीनों बीत जाने के बाद भी न तो मालेगांव, न समझौता एक्सप्रेस और न ही मुम्बई ट्रेन